मुंबई की बारिश : बाबा रे बाबा
“रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून”, “पानी रे पानी तेरा रंग कैसा”, इन सभी दोहों और गानों में पानी को जीवन का अभिन्न अंग दर्शाया गया है। हम सभी जानते हैं कि हमारा शरीर में सत्तर परसेंट भाग पानी ही है। भारत जैसे देश में पानी का मुख्य स्रोत मानसून की बारिश है। अगर हम बात करें मुंबई जैसे बड़े महानगरों की तो सभी को मानसून का बेसबरी से इंतजार रहता है। लेकिन 2005 जुलाई की मानसूनी बारिश ने सभी को समझा दिया की मुंबई की बारिश : बाबा रे बाबा।
जुलाई 2005 मुंबई की बाढ़
जब भी मानसून की बारिश होती है तो लोगों का डर स्वाभाविक ही है। जिन्होंने जुलाई 2005 में मुंबई की बाढ़ देखी है वो उसकी भयानकता सोच कर ही कांप जाते हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार एक दिन में ही 37 इंच से ज्यादा बारिश हुई थी और एक महीने में लगभग 1100 लोगों की इसी बारिश की वजह से मौतें हुई थी।
कभी न सोने वाला यह मुंबई शहर उस दिन रुक गया था। एक ओर जहां विख्यात लोकल ट्रेनें जो मुंबई की जान मानी जाती है, रुक गई थी। वहीं दूसरी ओर सभी आवश्यक सेवाएं ध्वस्त हो गई थी। जो जहां फंसा था वहीं रुक गया। कई लोगों ने दो रास्ते में ही बसों की या ऑटो की छत पर ही पूरी रात बिता दी। भयंकर पानी के बीच फंसे लोगों के पास नाथू मोबाइल में नेटवर्क ना खाने की कोई चीज थी। जान हथेली पर लेकर बहुत सारे लोगों ने एक दूसरे की मदद भी की थी। बिजली, फोन लाइन सब डेड हो चुके थे।
आज भले ही मानसून 2 हफ्ते लेट मुंबई पहुंचा है लेकिन अभी हो रही मूसलाधार बारिश की भयंकरता पर किसी को लेश मात्र भी संदेह नहीं है। बीएमसी ने अगले आने वाले समय में भयंकर बारिश की संभावना व्यक्त की है और लोगों को सुरक्षित स्थान पर रहने को कहा है। अगले आने वाली 24 से 48 घंटों तक लोगों को सतर्क रहने को कहा गया है ताकि किसी अनहोनी से बचा जा सके।
लेट मानसून
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार वैसे तो भारत में इस बार मानसून लेट आया है और ज्यादातर नमी ” वायु” नामक तूफान खींच चुका है। अभी तक की ताजा आंकड़ों के अनुसार दक्षिण और मध्य भारत मैं लगभग 30 से 40 परसेंट की कमी मानसून में देखी गई है। वही उत्तर भारत में सामान्यता मानसून वैसे भी लेट पहुंचता है तो वहां लगभग 20 परसेंट की कमी आंकड़ों में देखी गई है।
किंतु मौसम कभी भी किसी भी तरह से बदल सकता है और यह आने वाला समय ही बताएगा ऊंट किस करवट बैठ रहा है। किंतु इस बारिश से किसानों के चेहरे खिले नजर आ रहे हैं क्योंकि धान की रोपाई के समय इस तरह की मानसून की बारिश अमृत के समान हैं। अगर मानसून की बारिश अच्छी होती है तो किसानों की धान की फसल निश्चित रूप से अच्छी ही होगी और उसको रोपाई के समय सीखने की आवश्यकता कम पड़ेगी।
Right there, its raining Cats & Dogs in Mumbai here
Yes Plz ! Really clueless for dealing such rain
Agreed ????