इलेक्ट्रिक मीटर और लोड कैलकुलेशन
“नाम तो सुना ही होगा” यहां हम कोई फिल्मी डायलॉग की बात नहीं कर रहे हैं बल्कि हर घर में यूज होने वाले के बारे में बात कर रहे हैं। हर घर में लगे उपकरणों का अपना अलग लोड होता है हम इलेक्ट्रिक सर्किट पर डालते हैं। हमें यह भी आना चाहिए कि हमारे टोटल इलेक्ट्रिक लोड कितना है। हम अपने हर महीने होने वाले इलेक्ट्रिक बिल के मासिक खर्च का स्वयं ही मूल्यांकन (कैलकुलेशन) कर सकते हैं। बिजली कंपनियां हमारे घर में इलेक्ट्रिक लोड को नापने के लिए मीटर लगाती हैं जिसमे हर समय का इलेक्ट्रिक खर्च नापा जाता है। इसी मीटर के कैलकुलेशन के हिसाब से माह के अंत में बिजली कंपनियां अधिसूचित टेरिफ के हिसाब से बिल बनाती हैं।
हर इलेक्ट्रिक उपकरण का फेस, साइज और कार्य के अनुसार अलग अलग बिल होता है। उदाहरण के लिए इलेक्ट्रिक बल्ब सिंगल फेज में रजिस्टिव लोड होता है जबकि बड़ी मोटर थ्री फेज में रजिस्टि्व के साथ इंडक्टिव लोड भी होता है। अगर हम साधारण रूप में बात करें तो घरेलू कथा छोटे कारोबारियों का इलेक्ट्रिक बिल केवल टेरिफ के हिसाब से होता है।
इलेक्ट्रिक मीटर
कभी इलेक्ट्रिक मीटर में रोटेटरी पार्ट रहता था और एक डिस्क लगातार घूमती रहती थी। जिसके कारण कई बार डिस्को चुंबक और अन्य उपकरणों की सहायता से बीमा किया जाता था और बिल कम करने की शिकायत ज्यादातर बिजली कंपनियों द्वारा होती थी। जिस के नुकसान के कारण बिजली कंपनियों इलेक्ट्रॉनिक मीटर लगाना शुरू कर दिया। किंतु यहां भी कर्मचारियों की मिलीभगत से बिजली के मीटर की रीडिंग मैं हेरा फेरी होने लगी तो परेशान होकर कंपनियों ने एक बहुत अच्छा सॉल्यूशन निकाला। इलेक्ट्रिक मीटर की मैनुअल रीडिंग को ऑटोमेटिक रीडिंग कर दिया और अपने सर्वर से कनेक्ट करके डायरेक्ट कंपनियों के पोर्टल पर अपलोड होने लगा। आज इन्हीं सुविधाओं के कारण हम घर बैठे बैठे बिजली के बिल की जानकारी और उसका भुगतान दोनों कर सकते हैं।
इलेक्ट्रिक मीटर मुख्यतः इलेक्ट्रिक करंट के ऊपर ही आश्रित होता है। हम जानते हैं कि इलेक्ट्रिक पावर, वोल्टेज और करंट के मल्टीप्लिकेशन के बराबर होता है।
P =V I COS
यहां V = वोल्टेज डिफरेंस,
I = लोड करंट,
= पावर फैक्टर,
यहां एक बात नोट करने वाली है कि अगर वोल्टेज कम होगा तो उतनी ही पावर मेंटेन करने के लिए लोड करंट बढ़ जाएगा। जिसकी वजह से हमारा बिल अपेक्षाकृत ज्यादा आएगा। दूसरे शब्दों में वोल्टेज हमारे इलेक्ट्रिसिटी बिल को डायरेक्ट प्रभावित करता है। अतः कम वोल्टेज वाले इलाकों में अपेक्षाकृत बिजली का बिल ज्यादा आएगा।
कम वोल्टेज से, कोई भी उपकरण अपेक्षाकृत लोड करेंट ज्यादा लेता है, इसकी वजह से ओवरहीटिंग अर्थात उपकरण अत्यधिक गर्म हो सकता है। यह उपकरणों के जलने का एक मुख्य कारण है। जिसका कैलकुलेशन नीचे दिए गए समीकरण से हो सकता है।
अगर किसी उपकरण में “I” करंट बह रही है और उसका एमपीडेंस Z है तो उसमें उत्पन्न होने वाली उष्मा H,
H. = I^2 Z,
अर्थात ज्यादा करंट बहने से ऊष्मा, बहने वाली करंट के वर्ग के आनुपातिक होती है। ऊपर दिए गए जानकारी से हमें यह अच्छे से समझ लेना चाहिए कि कभी भी इलेक्ट्रिक उपकरण को मानक से कम वोल्टेज पर नहीं चलाना चाहिए नहीं तो जलने का खतरा बहुत ज्यादा होता है।
घर का इलेक्ट्रिक लोड कैलकुलेशन
किसी भी घर के इलेक्ट्रिक लोड को कैलकुलेट करने के लिए हम नीचे दिए गए उदाहरण से समझेंगे :-
मान लीजिए एक कमरे में 1 ट्यूब लाइट, एक बल्ब, पंखा, टीवी और एक फ्रिज लगा हुआ है तो हम हर एक उपकरण का लोड कैलकुलेशन करके टोटल लोड निकालेंगे।
- ट्यूबलाइट 40 वाट,
- बल्ब 100 वाट,
- पंखा 80 वाट,
- टीवी 80 वाट,
- फ्रिज 500 वाट ,
टोटल लोड = 40 + 100 + 80 + 80 + 500
= 800 वाट ,
किंतु हमें उपकरण के चलने का समय भी देखना होगा और उसको क्रमशः उसके लोड से गुणा करना पड़ेगा। फिर उसको टेरिफ से गुणा करना पड़ेगा तो 1 दिन का बिजली का बिल आ जाएगा। पूरे माह का बिल निकालने के लिए उसमें उस महीने के टोटल दिन से गुणा करना पड़ेगा। इसके बाद जो परिणाम आएगा वही इस महीने का पूरा बिजली का बिल होगा। हम इसे निम्न तालिका से समझ सकते हैं :-
उपकरण | लोड (Watt) | चलने का समय (Hours) | Total (Watt-hour) | Per day charges | Per month charge (Rs) |
ट्यूबलाइट | 40 | 6 | 240 | 2.4 | 72 |
बल्ब | 100 | 6 | 600 | 6 | 180 |
पंखा | 80 | 12 | 960 | 9.6 | 288 |
टीवी | 80 | 8 | 640 | 6.4 | 192 |
फ्रिज | 500 | 5 | 2500 | 25 | 750 |
Final Amount (Rs) | 1482 |
Note : Electricity rate is assumed Rs 10/unit & per unit is calculated in Kilowatt hour. Per month is calculated with 30 days assumption.
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Very useful information for electric meter and load calculation.
Thanks.
Sir pls share information kwh and kvah se pf nikalna