अमित शाह सफल राजनीतिज्ञ
पिछले कुछ वर्षों के राजनीतिक उथल-पुथल ने दर्शा दिया है कि भारत में जनता वंशवाद, परिवारवाद और संकीर्ण सोच को दरकिनार कर दिया है। हमेशा से कहा जाता है की राजनीति में कोई सगा नहीं होता, कुछ भी अच्छा या बुरा नहीं होता, कोई किसी का स्थाई मित्र या शत्रु नहीं होता है। जिसने इन बातों को समझ कर की राजनीति में कदम रखा वही सफल राजनीतिज्ञ है। किंतु आज लगातार बदल रही विचारधारा ने एक नए तरीके की राजनीति को जन्म दिया है। अगर आप एक निश्चित और दृढ विश्वास के साथ चलेंगे और एक साफ-सुथरी राजनीति से आगे बढ़ेंगे तो जनता आपको सिर आंखों पर बैठती है। इस तरह की राजनीति करने वाले भारत में भी काफी राजनेता हुए हैं आज अमित शाह का नाम जनता की जुबान पर है।
अमित शाह का जन्म 22 अक्टूबर 1964 में महाराष्ट्र राज्य के मुंबई में हुआ था। अमित शाह की पढ़ाई और ज्यादातर समय गुजरात और महाराष्ट्र के बीच में बीता है। अमित शाह किसी से नहीं है किंतु आज भारत के गृह मंत्री के रूप में शपथ लेकर भारत के बदलते राजनीतिक परिदृश्य को रेखांकित किया है। अमित शाह अपनी राजनीतिक सफलता के कारण चाणक्य नाम से भी जाने जाते हैं। अपने मनपसंद खेल शतरंज को अमित शाह लोगों को भी खेलने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।
राजनीतिक कैरियर
पढ़ाई के दिन में भी राजनीति में सक्रिय रहे और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कर्तव्यनिष्ठ सदस्य बने रहे। उस समय लाल कृष्ण आडवाणी से प्रेरित होकर राजनीति की मुख्यधारा में कूद पड़े। अमित शाह के बारे में कहा जाता है कि उन्होंने अपना कोई भी चुनाव हरा नहीं है। 2014 के लोकसभा में लालकृष्ण आडवाणी से प्रस्तावित होकर भारतीय जनता पार्टी अर्थात बीजेपी के महासचिव बनाए गए और देश कब आ रहा है बीजेपी ने 2014 में एक ऐतिहासिक जीत हासिल की। के लोकसभा चुनाव में भी नरेंद्र मोदी की अगुवाई में बीजेपी ने आज तक की सबसे बड़ी और प्रचंड जीत हासिल की है।
शाही गुजरात की राजनीति हो या पूरे भारत देश की, अमित शाह का कुशल प्रबंधन और राजनीतिक दांवपेच जनता के बीच में प्रसिद्ध रहा है। अगर हम अमित शाह के राजनीतिक दांवपेच की बात करें तो चुनाव के पहले भारतीय जनता पार्टी समर्थित एनडीए सहयोगी आंखें दिखा रहे थे। किंतु हर पार्टी की अमित शाह से मुलाकात के बाद सभी घटक दल पार्टी के अनुकूल हो गया। सभी सीट बटवारे और अन्य क्षेत्रीय मुद्दे के विवाद तो जैसे हवा हो गए। ऐसे ही गायब हो गए जैसे गधे के सिर से सींग गायब होता है।
आज अमित शाह वैसे ही चाणक्य की उपाधि नहीं दी गई बल्कि यह उनके मेहनत का ही नतीजा है। 2002 में गुजरात में नरेंद्र मोदी की अगुवाई में उन्होंने डेढ़ लाख वोटो से जीत हासिल की और अपना परचम लहरा दिया। गोधरा कांड और सोहराबुद्दीन केस में भी बाइज्जत बरी होना अमित शाह की साफ-सुथरी राजनीति को दर्शाता है। 2019 में गांधीनगर से प्रचंड जीत हासिल करके अमित शाह ने सबका मुंह बंद कर दिया।
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